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मेरे सारे मैडल ले लो साहब मुझे बस रोजगार दे दो,बेरोजगारी की मार झेल रही दिव्यांग अनिता बघेल

छत्तीसगढ़ विशेष

खेल और शिक्षा की बुलंदियों को छूने के बाद भी जांजगीर जिले की एक ऐसी प्रतिभावान खिलाड़ी है जो आज गरीबी और भुखमरी की जिंदगी जीने को मजबूर है,बचपन से ही विकलांग का श्राप लिए अनिता की पूरी जिंदगी संघर्ष से गुजरी है, विकलांग होने के बाउजूद कुछ कर दिखाने की चाह ने उसे कभी कमजोर नही होने दिया और कड़ी मेहनत की बदौलत अनिता बघेल ने एमएससी,बीएड,पीजीडीएससी की डिग्रियां हासिल की है साथ ही खेल में भी छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है,

अनिता दिव्यांगों की ब्रांड अम्बेसडर है, व्हीलचेयर बास्केट बॉल एवं क्रिकेट में छत्तीसगढ़ की कप्तान रह चुकी है अनिता ओर न जाने कितने मैडल जीत कर जिले के साथ साथ छत्तीसगढ़ का भी नाम रोशन किया है,मगर तमाम उपलब्धियो के बाद भी आज अनिता गरीबी की मार झेल रही है दो वक्त की रोटी के लिए उसके पास कोई रोजगार नही है अनिता अपने पिता और छोटे भाई के साथ जैजैपुर में रह रही है जहाँ उसका छोटा भाई पढ़ाई छोड़कर मजदूरी कर के अपने पिता और अनिता का खर्च जैसे तैसे चला रहा है,

अनिता कहती है कि वो विकलांग होने के बाद भी हिम्मत नही हारी थी मगर इतनी मेहनत कर तमाम डिग्री ओर उपलब्धि हासिल करने के बाद भी वर्षो से बेरोजगारी ओर गरीबी की मार ने उसे हरा दिया है,अनिता कहती है कि मेरे सारे मैडल ओर डिग्री ले लो मुझे सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए एक रोजगार दे दो,अनिता ने जिले के कलेक्टर से लेकर विधानसभा अध्यक्ष तक को पत्र लिखकर अपनी हालात से अवगत करा चुकी है मगर आज भी अनिता बेरोजगारी की समस्या से जूझ रही है,,

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