Shri Krishna Janmashtami 2021: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की ऐसे करें पूजा
हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. जन्माष्टमी के दिन देश-दुनिया के सभी मंदिरों कृष्ण भगवान का श्रृंगार किया जाता है. श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियां सजाई जाती हैं और कान्हा का श्रृंगार करके उन्हें झूला झुलाया जाता है. आज के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति,आयु और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी आज
- जानें कृष्ण भगवान का ये खास मंत्र
- कष्टों की मुक्ति के लिए करें ये उपाय
आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में अष्टमी तिथि का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के मनमोहन, केशव, श्याम, गोपाल, कान्हा, श्रीकृष्णा, घनश्याम, बाल मुकुंद, गोपी मनोहर, गोविंद, मुरारी, मुरलीधर समेत और भी कई नाम है. आज के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति,आयु और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त- आज कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है. कुल अवधि 45 मिनट की है. शुभ मुहूर्त में पूजन से कान्हा की विशेष कृपा मिलती है. वहीं व्रत पारण का समय 31 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट के बाद का है.
कष्टों से मुक्ति दिलाता है श्रीकृष्ण का मंत्र- श्रीकृष्ण भगवान की पूजा में उनके मूल मंत्र ‘कृं कृष्णाय नमः’ का जाप जरूर करें. इसे एक सौ आठ बार करना चाहिए. कहा जाता है कि ये मंत्र सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त दिलाता है. इसके अलावा 7 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र ‘गोवल्लभाय स्वाहा’ भी विशेष लाभ दिलाता है. श्रीकृष्ण के इस मंत्र का जाप करने वाले साधक को संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
ऐसे करें कान्हा का श्रृंगार- जन्माष्टमी के दिन देश-दुनिया के सभी मंदिरों कृष्ण भगवान का श्रृंगार किया जाता है. श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियां सजाई जाती हैं और कान्हा का श्रृंगार करके उन्हें झूला झुलाया जाता है. श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें. पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें. इस पूजा में काले रंग का प्रयोग न करें. वैजयंती के फूल कृष्ण जी को अर्पित करना सर्वोत्तम होता है.